अतरौलियाआजमगढ़ ।किसानों के हड़तोड मेहनत से पैदा किया गया धान की विक्री का उचित मूल्य दिलाए जाने के बाबत शासनादेशों के बावजूद खुले सरकारी ध्यान क्रम केन्द्र महज शोपीस बनकर रह गए हैं
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अतरौलियाआजमगढ़ ।किसानों के हड़तोड मेहनत से पैदा किया गया धान की विक्री का उचित मूल्य दिलाए जाने के बाबत शासनादेशों के बावजूद खुले सरकारी ध्यान क्रम केन्द्र महज शोपीस बनकर रह गए हैं ।जिसमें ना तो बोरा है और ना तो धन ही है। जो थोड़ा बहुत है भी वह प्रभावशाली किसानों का ही धान खरीदा जा रहा है ।आम किसान अपनी मेहनत की कमाई को बर्बाद होते अपने आंखों से देखता रह जा रहा है ।किसानों की हितैषी कही जाने वाली सरकार के बावजूद भी किसान अपना धन औने पौने दाम में बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर है ।अतरौलिया व तहसील क्षेत्र में दर्जनों धान खरीद केंद्र खोले गए हैं। एग्रो पी सी एफ ,सहकारी समिति एवं राजकीय धान खरीद केंद्र ।इन केंद्रों पर खरीद के केंद्र का बोर्ड तो लगा है लेकिन धान खरीद के प्रभारी व कर्मचारियों द्वारा किसानों को तरह-तरह के बहाने बनाए जाते हैं ।जैसे कि अभी बारदाना नहीं है, मगाया है देखो कब आता है। पैसे भी नहीं आया है ।किसानों को कभी बैंक में खाता खोलने तो कभी बारदाना व पैसे की को लेकर महीनों दौड़ाया जाता है। भोला भाला किसानों को अपने ट्रैक्टर को हफ्तों केंद्र पर खड़ा करना पड़ता है ।अंत में किसान थक हार कर व्यापारियों को अपने मेहनत से पैदा किये हुए अनाज को औने पौने दामों में बेचकर अपना काम चलाता है ।फिर वही ध्यान केंद्र पर व्यापारियों से कमीशन लेकर खरीदा जाता है। किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र प्रभारी द्वारा प्रति कुंतल ₹10 तथा 2 किलो धान लेकर ही धान खरीदा जाता है। तथा कभी पल्लेदारी तो के नाम पर, तो कभी बारदाना के नाम पर कभी अन्य खर्च का पैसा भी मांगा जाता है ।जो किसान सुविधा शुल्क देने से इनकार करता है ।उसके धान ही खरीदा नहीं किया जाता ।इन खरीद केंद्रों पर बहुत से किसान ट्राली पर धान लादकर तौलने का इंतजार करते देखे जा रहे हैं ।किसानों का कहना है कि एक तो दैवीय आपदा से जल जमाव के कारण धान की पैदावारी कम हुई है, दूसरे खरीद केंद्रों पर तैनात कर्मचारियों के मनमानी से किसानों की परेशानी दोगुनी हो गई है । क्षेत्र के कबीरपुर गांव निवासी तथा उद्योग महाविद्यालय के प्राचार्य जयप्रकाश मिश्रा ने बताया कि क्षेत्र के अतरैठ स्थित धान खरीद केंद्र पर केंद्र प्रभारी चौकीदार व अन्य कर्मचारियों द्वारा महीनों से दौड़ाने के बाद भी आज तक मेरे धान की खरीद नहीं किया गया ।उन्होंने कहा कि केंद्रों में की गई खरीद के आंकड़े इस खरीद केंद्रों के प्रभारियों व एस .एम .आई. के भ्रष्टाचार को खुला उजागर करते हैं। बताते हैं कि जब किसान अपने ध्यान को व्यापारियों के यहां कम कीमत पर बेच चुके होते हैं तो वही धान यस. एम. आई. द्वारा खरीद लिया जाता है। और यह खरीद किसानों से दर्शा कर लक्ष्य पूरा कर लाखों कमाने का जुगाड़ लगाया जाता है। वहीं यस. एम. आई. विनीत सिंह का कहना है कि केंद्र पर बारदाना व पैसा ना आने पर ही किसानों को लौटाया जाता है ।किसी भी किसान के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है।और न कोई वसूली किया जाता है। वहीं अतरौलिया स्थित धान खरीद केन्द्र के प्रभारी व यस. एम. आई. ने बताया कि केन्द्र का गोदाम भर गया है। केन्द्र पर धान रखने की जगह न होने के कारण खरीद बन्द है।धान का लदान हो जाने पर तुरन्त खरीद शुरू कर दी जायेगी। किसी भी किसान के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा। किसानों ने जिलाधिकारी से अविलंब हस्तक्षेप की मांग की है। ताकि अपनी उपज का लाभकारी मूल्य उन्हें हासिल हो सके।
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