पूर्व ब्लाक प्रमुख स्वर्गीय माया प्रसाद यादव के 18वी पूर्ण तिथि पर स्मृति दिवश समारोह का आयोजन किया गया।



 अतरौलिया  के पूर्व ब्लाक प्रमुख माया प्रसाद यादव के 18वी पूर्ण तिथि पर पूर्व मंत्री बलराम यादव ने अतरौलिया ब्लाक परिसर में लगी माया यादव के प्रतिमा पर माल्यर्पण किया ,तथा स्थानीय  क्षेत्र अतरौलिया के सपा कार्यालय के प्रांगण में पूर्व ब्लाक प्रमुख स्वर्गीय माया प्रसाद यादव के 18वी पूर्ण तिथि पर स्मृति दिवश समारोह  का आयोजन किया गया।

बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री व सपा महासचिव पर्वमंत्री बलराम यादव ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा की माया जी का पूरा जीवन  सपा को समर्पित था उन्होंने पुरे जीवन में कभी भी अपने वसूलो से समझौता नहीं किया  माया प्रसाद कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार धारा थे ।उनकी कमी को आज भी हमलोग महशुस करते है ।काफी भाउक होते हुए  बलराम यादव ने कहा की आज मैं माया यादव के बिना अपने आप को अकेला महशुस करता हु ।माया प्रसाद जी ने पूरे जीवन काल में कभी राजनीती को हथियर  नहीं बनाया । उन्हों ने भाजपा पर आरोप लगते हुए कहा की केंद्र व प्रदेश सरकार के गलत नीतियों के कारण आज पूरा प्रदेश गर्त में जा रहा है। आज तक इनकी कोई योजना अभी जनता तक नही पंहुचा पूरे देश में भय और अराजकता का माहौल बना हुआ है

 अतरौलिया के पूर्व ब्लाक प्रमुख व् माया प्रसाद के पुत्र चन्द्र शेखर यादव ने कहा की मेरे पिता जी  ने हमेशा हम लोगो से कहा करते थे की राजनितिक जीवन में जनता के  सुख को अपना सुख  दुःख को अपना  दुःख समझना, कभी भी इन लोगो से झूठे वादे मत करना ।उन्हों ने कहा की मुझे हमेशा इस बात  का दुःख है की पिता जी का साथ मुझे बहुत अल्प समय के लिए ही मिला ।पिता जी के बताये रास्ते पर मैं चल सकु यही मेरी उनको सच्ची श्रधांजलि होगी ।  समरोह में मुख्य रूप से चंद्र जीत यादव जगदीश पाण्डेय ,अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के ब्लॉक प्रभारी मुस्ताक अहमद,शीतल निषाद,राधेश्याम यादव ,कमला यादव, दीपक जायसवाल, सुरेश मोदनवाल,सुभास चन्द्र जायसवाल, अमित जायसवाल,घनानंद गिरी, संजय मिश्रा,पिंटू यादव,आदि थे।

 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री बलराम यादव अतरौलिया खंड विकास कार्यालय परिसर में लगी स्वर्गीय माया प्रसाद यादव की कांस्य प्रतिमा पर जब माल्यार्पण करने गए तो स्वर्गीय माया प्रसाद यादव की मूर्ति का हाथ पकड़कर भाऊक हो गए, इस दौरान उनकी हाव भाव से उनकी मनःस्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता था। कि बलराम यादव अपने बचपन के सखा माया प्रसाद यादव की बिना कितने अधूरे महसूस कर रहे हैं अपने आप को संभाल के बलराम यादव अपने आंखों से आंसू पूछ कर उनके श्रद्धांजलि सभा की तरफ चल पड़े

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