शांतिपूर्ण सम्पन्न हुआ निकाय चुनाव प्रत्याशियों की किस्मत पतपेटिका में हुई कैद

शांतिपूर्ण सम्पन्न हुआ निकाय चुनाव प्रत्याशियों की किस्मत पतपेटिका में हुई कैद

 चिल्लाती धूप भी घटाया मत प्रतिशत,


 (सुप्रीम टीम समाचार ब्यूरो चीफ मीरजापुर)। निकाय चुनाव 2023 के लिए गुरुवार को नगर पालिका मिर्जापुर, नगर पालिका नगर पालिका चुनार एवं नगर पंचायत कछआ में प्रातः 7:00 से मतदान प्रारंभ हो गया। मतदाताओं ने निडर होकर अपने अपने प्रत्याशियो के पक्ष में अपने मत का प्रयोग किया। मिर्जापुर नगर पालिका में 49 प्रतिशत,चुनार में 66 प्रतिशत,अहरौरा में 74 प्रतिशत,कछवा में 67 प्रतिशत तथा पूरे जनपद के मात्र 54 प्रतिशत मतदान रहा। मिर्जापुर नगर पालिका की स्थिति बहुत ही खराब रही। 
बताते चलें कि मिर्जापुर नगर पालिका चेयरमैन पद हेतु प्रत्याशियों की नसीब मत पेटिका में कैद हो गई है। बीजेपी से श्यामसुंदर केसरी, कांग्रेश से प्रियंका जैन जो कि पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष की पुत्रवधू है। जिनका सीधा संपर्क व्यापारियों से आका जा रहा है। बीजेपी ने मनोज श्रीवास्तव को टिकट नही दिया तो उन्होंने निर्दल अपना पर्चा पालिका अध्यक्ष हेतु भरा है जी विश्व हिंदू परिषद के जमीनी व कद्दावर नेता के रूप में मिर्जापुर नगर पालिका के लिए नामांकन किया है। जिससे भारतीय जनता पार्टी को लंबा नुकसान पहुंच रहा है। वहीं कांग्रेस पार्टी छोड़कर के इंजीनियर सतीश मिश्रा ने समाजवादी पार्टी के सिंबल साइकिल पर सवारी की है। समाजवादी पार्टी छोड़कर एडवोकेट सुनील पांडे ने भी आप की झाड़ू पकड़कर नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए किया है। जिनका सपना है कि मिर्जापुर के नगर पालिका क्षेत्र को दिल्ली के तर्ज पर वहां नगर वासियों को सुविधाओं से लैस करना हैं।श्यामसुंदर शुक्ला बीमार हाथी पर अपनी सवारी कर चुके हैं इन सब का नसीब मतपेटियों में कैद हो चुका है।13 मई को जनता का निर्णय किसे नगरपालिका अध्यक्ष का ताज पहनाई है सार्वजनिक हो जाएगा। जिसका बेसब्री से इंतजार है पत्रकारों ने भी चिल्लाती धूप के चलते जिला प्रशासन को कोसते रहे। पहली बार जिला प्रशासन के द्वारा पत्रकारों को समाचार कवरेज हेतु वाहन की उपलब्धता नहीं कराई गई फिर भी पत्रकार अपने निजी वाहन से अपने कर्म क्षेत्र में डटे रहे। निकाय चुनाव के एक दिन पूर्व कुछ पत्रकारों के द्वारा जब जिला निर्वाचन कार्यालय से समाचार कवरेज हेतु वाहन की मांग की गई तो सूचना विभाग पत्रकारों को धमकियां देना सुरु कर दिया। स्थानीय पत्रकारों को इस तरह से धमकाया गया कि आगे से आपका पास रोका जा सकता है। यद्यपि देश का चौथा स्तंभ पत्रकारिता ही माना जाता है और जब भी इन तीनों स्तंभों के अधिकारियों व कर्मचारियों के ऊपर आफत आती है तो चौथे स्तंभ ही उनका संकटमोचन का कार्य किया। किंतु इस चौथे स्तंभ के पास किसी भी प्रकार की प्रोटोकाल न होना लोकतंत्र के लिए बहुत ही बड़ा अवरोधक उत्पन्न हो रही है।

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