अतरौलिया। आज नहाय खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व,फलों की सजी दुकान।
बता दे कि हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा पर्व मनाया जाता है और यह पर्व 4 दिन का होता है। इस साल छठ महापर्व शुक्रवार से शुरू होकर 20 नवंबर तक चलेगा। छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय का होता है, छठ पूजा के पहले ही दिन अमृत योग और रवि योग बन रहे हैं, इन योगों को बहुत शुभ माना गया है। उस पर छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित है, ऐसे में महापर्व के पहले दिन ही रवि योग का बनना बेहद शुभ है। छठ महापर्व को लेकर पोखरा तालाब व सरोवर की साफ सफाई की जा रही है तो वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से रस्सी व बांस बल्ली के सहारे लोगों को सुरक्षा दी जा रही है। नगर पंचायत व आसपास छठ महापर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर है वही आज नहाए खाए से इस महापर्व की शुरुआत हो चुकी है।बाजार में पूरी तरह से रौनक बढ़ गई है फलों की दुकानों पर सभी प्रकार के फल बिकने लगे हैं तो वही गन्ने की भी खूब बिक्री हो रही है। छठ महापर्व को लेकर महिलाओं में जहां उत्साह देखने को मिल रहा है वहीं पुरुष भी जरूरी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं। बांस से बने सूप और डाला की भी खूब बिक्री हो रही है तो वही दुकानों पर सभी प्रकार के फल देखने को मिल रहे हैं। छठ महापर्व को लेकर बाजारों में पूरी तरह से रौनक बढ़ गई है। नगर प्रशासन द्वारा घाटों की साफ सफाई के लिए नगर कर्मचारियों को लगाया गया है।
छठ पर्व को लेकर मान्यता है कि छठी मइया को भगवान सूर्य की बहन बताया गया हैं। इस पर्व के दौरान छठी मइया के अलावा भगवान सूर्य की पूजा-आराधना होती है। कहा यह भी जाता है कि जो व्यक्ति इन दोनों की अर्चना करता है उनकी संतानों की छठी माता रक्षा करती हैं। कहते हैं कि भगवान की शक्ति से ही चार दिनों का यह कठिन व्रत संपन्न हो पाता है। पैराणिक कथा के अनुसार छठी मैया को ब्रम्हदेव की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन बताया गया है। छठी मैया को संतान प्राप्ति की देवी कहा जाता है और सूर्य देव को शरीर के मालिक या देवता कहा गया है। वही पुराणों में यह मान्यता है कि जब ब्रम्हा देव सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उन्होंने अपने आप को दो भाग में बांट दिया था।
छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है।
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