अतरौलिया ।श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह के दूसरे दिन लगी भारी भीड़, श्रोताओं में उत्साह ।बता दे की संगीतमयी श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन पकरडीहा गांव निवासी शिवमूरत सिंह एवं कमला सिंह के द्वारा आयोजित किया गया है जिसमें कथा श्रोताओं की काफी भीड़ इकट्ठा हो रही है। श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ 18 नवंबर दिन शनिवार से शुरू हुआ है जिसका समापन 24 नवंबर दिन शुक्रवार को होगा, तत्पश्चात एक विशाल भंडारे का आयोजन 25 नवंबर दिन शनिवार को किया जाएगा। कथा श्रोताओं को संगीतमयी भागवत कथा दिन में 1:00 से शाम 5:00 बजे तक कथा व्यास भागवताचार्य पंडित चंद्रेश जी महाराज, पीठाधीश्वर पचपेड़वा आश्रम के द्वारा राम कथा का रसपान कराया जा रहा है। पंडित चंद्रेश जी महाराज ने बताया कि राम कथा के सुनने मात्र से ही सभी कष्टों का निवारण होता है वही मन को भी काफी शांति मिलती है। लोक कल्याण एवं जन कल्याण के लिए राम कथा में प्रतिदिन हज़ारो लोगों की भीड़ उमड़ रही है जिससे बनाया गया पांडाल खचाखच श्रोताओं से भर जाता है। उन्होंने कहा कि सांसारिक बाधाओ को नष्ट करने का एक रास्ता है जो राम कथा के द्वारा लोगों को एक अच्छी प्रेरणा मिलती है जिससे श्रोताओं के जीवन में एक ऊर्जा का उत्साह भी होता है। शिव चरित्र का सुन्दर वर्णन करते हुए चंद्रेश जी ने मां पार्वती के जन्म, कामदेव के भस्म होने और भगवान शिव द्वारा विवाह के लिए सहमत होने की कथा सुनाई।उन्होंने कहा कि भाव से दिल से पुकारो तो परमात्मा हमें रस स्वरूप दिखाई देगा। राम नाम का संकीर्तन भी ऐसा ही है। भजन का अभ्यास हमें यह बताता है कि हमारा जो अंतर्मन है वह एष्णा से भरा न हो भगवान के प्रति भावना से युक्त हो। उन्होंने कहा कि मन की बहुत सी परते हैं, हम तो सिर्फ उपरी सतह को जानते हैं, लेकिन जो गहरे में हैं उसे जानना जरूरी है। उसमें संसार की जो इच्छाएं हैं, वही तो बंधन में बांधता है हमे। अवचेतन मन और अंतर्मन की इच्छा एक ही होनी चाहिए ऐसा नहीं हुआ तो भाव गड़बड़ा जाते हैं। जो अंदर होगा वही बाहर आता है। इसलिए अंतर्मन महत्वपूर्ण है इसके साक्षी हम स्वयं है। रामकथा भी अंतर्मन की कथा है। उन्होंने कहा कि जो हम नहीं है वह दिखाना चाहते है, यह पाखंड है। कथा के साथ शानदार संगीतमय भजनों को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो रहे हैं।
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